सवाई माधोपुर जिले में रणथंभौर टाइगर रिजर्व से सटे ग्रामीण इलाकों में बाघों की लगातार आवाजाही अब चिंता का विषय बनती जा रही है। बुधवार सुबह ऐसा ही एक रोमांचक और डरावना दृश्य कुतलपुरा गांव में देखने को मिला, जब एक टाइगर जंगल की सीमाओं को पार करता हुआ गांव में दाखिल हो गया। टाइगर की मौजूदगी ने पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया और ग्रामीणों की जान सांसत में आ गई।
सुबह-सवेरे गांव में दाखिल हुआ टाइगर
कुतलपुरा गांव, जो रणथंभौर के बेहद करीब स्थित है, बुधवार की सुबह अचानक चर्चा का केंद्र बन गया। पूर्व पंचायत समिति सदस्य जितेंद्र सैनी के अनुसार, सुबह करीब 6 बजे गांव के समीप एक टाइगर देखा गया, जो जंगल से निकलकर बाजरे के खेतों की ओर बढ़ गया। गांव में जैसे ही बाघ के आने की खबर फैली, लोग घरों की छतों पर चढ़कर देखने लगे, वहीं कुछ लोग डर के मारे अपने घरों में दुबक गए।
बाजरे के खेतों में पहुंचने के बाद टाइगर वहीं दुबक गया, जिससे रेस्क्यू टीम को उसे ट्रेंकुलाइज करने में मुश्किलें आईं। वन विभाग को जैसे ही इसकी सूचना मिली, रणथंभौर टाइगर रिजर्व की विशेष टीम तुरंत मौके पर पहुंची और टाइगर की निगरानी शुरू कर दी। हालांकि टाइगर लोगों की हलचल और शोरगुल से विचलित होकर खेतों की फसल में छिप गया था।
होटल में घुसा बाघ, ट्रेंकुलाइज कर जंगल में छोड़ा
लगभग दो घंटे तक खेतों और आसपास के इलाकों में घूमने के बाद टाइगर अचानक पास की एक होटल की ओर बढ़ गया और वहां जा घुसा। यह स्थिति और भी संवेदनशील हो गई, क्योंकि होटल में आमतौर पर पर्यटक और स्टाफ मौजूद रहते हैं। गनीमत रही कि वन विभाग की टीम मौके पर मौजूद थी और सतर्कता से काम ले रही थी।
वन विभाग की टीम ने सूझबूझ से काम लेते हुए करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद टाइगर को ट्रेंकुलाइज कर दिया। इसके बाद उसे विशेष वाहन के जरिए सुरक्षित तरीके से रणथंभौर के जंगल में छोड़ा गया।
DFO ने दी जानकारी
रणथंभौर टाइगर रिजर्व प्रथम के डीएफओ रामानंद भाकर ने इस मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि यह एक फीमेल शावक थी, जो कनकटी एरिया से भटककर कुतलपुरा गांव पहुंच गई थी। विभाग की टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज कर सुरक्षित जंगल में वापस छोड़ दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि लगातार हो रहे टाइगर मूवमेंट को देखते हुए इलाके में वन विभाग की गश्त और निगरानी को बढ़ा दिया गया है।
लगातार हो रहे बाघों के मूवमेंट से ग्रामीणों में भय
गौरतलब है कि बीते 27 दिनों में रणथंभौर के पेरीफेरी क्षेत्रों में बाघ के हमलों से दो लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं बाघिनें और उनके शावक लगातार आबादी वाले क्षेत्रों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
वन विभाग के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है, जहां उन्हें वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय लोगों की जानमाल की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है। इस प्रकार के घटनाक्रम यह संकेत देते हैं कि वन्यजीवों और मानव बस्तियों के बीच की दूरी लगातार घट रही है, जिस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
कुतलपुरा गांव में टाइगर की मौजूदगी ने वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को एक बार फिर सतर्क कर दिया है। रणथंभौर जैसे टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में इंसानों और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है। इसके लिए बेहतर प्लानिंग, जागरूकता और मॉनिटरिंग की सख्त ज़रूरत है, ताकि ऐसी घटनाओं से जन-धन की हानि को रोका जा सके।