सवाई माधोपुर शहर की सफाई व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। जहां एक ओर नगर परिषद खुद व्यापारियों को कचरा जलाने पर जुर्माना लगा रही है, वहीं दूसरी ओर उन्हीं के सफाईकर्मी नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। शहर के कई इलाकों में सफाई के नाम पर एकत्रित कचरे को जलाया जा रहा है, जिससे प्रदूषण बढ़ने के साथ ही लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
आधी-अधूरी मॉनिटरिंग, अधूरा कचरा उठाव
गुरुवार सुबह और रात के समय शहर के कई हिस्सों में सफाई के बाद कचरे को उठाने की बजाय आग लगा दी गई। सफाईकर्मी झाड़ू लगाकर कचरे को सड़क किनारे इकट्ठा कर देते हैं, लेकिन बाद में उसे ऑटो टिपर या ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरने की प्रक्रिया अधूरी रह जाती है। मॉनिटरिंग की कमी के चलते कर्मचारी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं और कचरे में आग लगा देते हैं। इससे न केवल वातावरण में धुआं फैल रहा है, बल्कि लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।
नगर परिषद के दोहरे मापदंड
विरोधाभास यह है कि नगर परिषद खुद दुकानदारों को समझाइश देती है कि कचरा नहीं जलाएं और नियम तोड़ने पर चालान काटती है। हाल ही में 1500 रुपए का जुर्माना लगाकर चार सफाईकर्मियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। लेकिन इसी परिषद के कर्मचारी रात के अंधेरे में कचरे को जलाकर नियमों की अवहेलना कर रहे हैं। यह दोहरा रवैया शहरवासियों में आक्रोश का कारण बन रहा है।
कचरा निस्तारण के लिए ठोस योजना का अभाव
शहर में कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण की दिशा में कोई ठोस व्यवस्था फिलहाल नहीं है। पूर्व में सूरवाल क्षेत्र में वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की योजना शुरू की गई थी, लेकिन आज तक वह अधूरी पड़ी है। उससे पहले ठींगला में कचरा निस्तारण प्लांट था, जिसे क्षेत्र में आबादी बढ़ने के कारण बंद कर दिया गया। अब सब्जी मंडी के पीछे लोहे के पोल लगाकर कचरा डंप किया जा रहा है, जो अस्थायी और अव्यवस्थित समाधान है।
मुख्य सड़कों और कॉलोनियों में खुलेआम जलाया जा रहा कचरा
स्टेशन रोड, बजरिया, पुरानी ट्रक यूनियन, एमपी कॉलोनी, हाउसिंग बोर्ड, आवासन मंडल और राजनगर जैसे क्षेत्रों में सफाई के बाद कचरा उठाने की प्रक्रिया अधूरी रह जाती है। रेलवे स्टेशन के सामने गणेश मंदिर के पास, और पार्कों के नजदीक भी रात के समय कचरे को आग के हवाले किया जाता है। स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत की, लेकिन व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ।
स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी
स्थानीय निवासी रजत माथुर का कहना है कि सफाईकर्मी प्रतिदिन आ रहे हैं लेकिन कचरे को जलाने की प्रवृत्ति से लोगों को परेशानी हो रही है। राजनगर के श्रीराम शर्मा ने बताया कि बुजुर्गों को धुएं से सांस लेने में तकलीफ हो रही है। पार्षद अभयकर शर्मा ने कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने की बात कही।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
नगर परिषद आयुक्त नरसी मीणा ने कहा है कि सभी कॉलोनियों में ऑटो टिपर का संचालन किया जा रहा है। अगर किसी क्षेत्र में यह व्यवस्था नहीं पहुंच रही है, तो संबंधित कार्मिकों को पाबंद किया जाएगा और अनियमितता पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी।
सवाई माधोपुर जैसे ऐतिहासिक और पर्यावरण-संवेदनशील शहर में यदि कचरा प्रबंधन जैसी मूलभूत सेवा ही बदहाल हो, तो यह न केवल शासन की विफलता है, बल्कि आमजन के स्वास्थ्य और शहर की छवि के साथ खिलवाड़ भी है। नगर परिषद को जल्द से जल्द कचरा निस्तारण के लिए स्थायी समाधान खोजना होगा, मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत करना होगा और दोषी कार्मिकों पर कार्रवाई करनी होगी, तभी जाकर शहर में स्वच्छता का सपना साकार हो सकेगा।