मुख्यमंत्री सुपोषण न्यूट्री किट योजना: गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण की नई राह

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राजस्थान सरकार ने प्रदेश की गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चों की सेहत को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री सुपोषण न्यूट्री किट योजना के तहत अब गर्भवती और धात्री महिलाओं को खास पोषण युक्त आहार प्रदान किया जाएगा, जिससे न सिर्फ उनकी शारीरिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास भी बेहतर हो सकेगा।

क्यों जरूरी है यह योजना?

प्रदेश में आज भी मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके पीछे प्रमुख कारणों में से एक है गर्भवती महिलाओं में कुपोषण और एनीमिया जैसी स्थितियां। खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में पोषक आहार की कमी से महिलाएं गर्भावस्था के दौरान कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करती हैं। राज्य सरकार की यह नई पहल इन समस्याओं को जड़ से समाप्त करने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।

क्या मिलेगा न्यूट्री किट में?

मुख्यमंत्री सुपोषण न्यूट्री किट में गर्भवती महिलाओं को निम्न पोषण तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ दिए जाएंगे:

  • पिंड खजूर – आयरन और प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत
  • फूल मखाने – प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर युक्त
  • देसी घी – शरीर में ताकत और गर्मी बनाए रखने वाला पोषक तत्व
  • मूंगफली – प्रोटीन, विटामिन-ई और हेल्दी फैट्स से भरपूर
  • चना – आयरन, फोलेट और प्रोटीन का अच्छा स्रोत

इन खाद्य पदार्थों में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और जरूरी विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो गर्भवती महिलाओं की सेहत को संपूर्ण पोषण प्रदान करते हैं।

योजना का लाभ किसे मिलेगा?

यह योजना विशेष रूप से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत गर्भवती और धात्री महिलाओं के लिए शुरू की गई है। जिले में फिलहाल करीब 19 हजार गर्भवती महिलाएं हैं, जिनमें से लगभग 8,224 महिलाओं को इस योजना का प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। पंजीकरण अनिवार्य है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सही और जरूरतमंद महिलाओं तक योजना पहुंचे।

वर्तमान व्यवस्था में क्या बदलाव होगा?

अभी तक आंगनबाड़ी केन्द्रों पर महिलाओं को केवल सामान्य पोषाहार उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन अब न्यूट्री किट के माध्यम से अतिरिक्त पोषक आहार दिया जाएगा। इससे गर्भवती महिलाओं की आंगनबाड़ी केन्द्रों पर उपस्थिति भी बढ़ेगी और हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) जैसी स्वास्थ्य समस्याओं में भी उल्लेखनीय सुधार आएगा।

जिले में कुपोषण की स्थिति

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जिले की 19,020 गर्भवती महिलाओं में से 1,949 महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। अच्छी बात यह है कि कुपोषण की कोई गंभीर स्थिति नहीं है। यह जिले के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि सही योजना और पौष्टिक आहार से भविष्य में कुपोषण की संभावना को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है।

योजना पर खर्च और दिशा-निर्देश

राज्य सरकार इस योजना पर 25 करोड़ रुपये खर्च करेगी और प्रत्येक महिला पर लगभग 1,000 रुपये का व्यय किया जाएगा। यूनिसेफ की गाइडलाइन्स के अनुसार न्यूट्री किट तैयार की जाएगी, जिससे इसकी गुणवत्ता और उपयोगिता सुनिश्चित रहे।

जमीनी स्तर से क्या कहती हैं महिलाएं?

सुगना सैनी, जो सवास गांव की एक गर्भवती महिला हैं, कहती हैं कि "यह योजना जल्दी से जल्दी लागू होनी चाहिए ताकि गरीब और ग्रामीण महिलाओं को समय पर पोषण मिल सके।"

ललिता सैनी, इटावदा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताती हैं कि "सरकार की योजना काफी अच्छी है। जैसे ही सामग्री केन्द्रों पर पहुंचेगी, सभी पंजीकृत महिलाओं को इसका वितरण किया जाएगा।"

मुख्यमंत्री सुपोषण न्यूट्री किट योजना एक सार्थक और समयानुकूल पहल है, जिससे राज्य की गर्भवती महिलाओं की पोषण स्थिति में सुधार होगा और शिशु की सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह योजना सिर्फ एक पोषण किट नहीं, बल्कि स्वस्थ मां और स्वस्थ शिशु की दिशा में एक मजबूत कदम है। जिले की महिलाएं और उनकी संतानों का भविष्य अब और भी सुरक्षित और सशक्त हो सकेगा।