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रणथम्भौर के बालेर रेंजर ने शिकारियों को छोड़ा: वन्यजीव संरक्षण पर उठते सवाल

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रणथम्भौर टाइगर रिजर्व, जिसे देश और दुनिया में बाघ संरक्षण की मिसाल माना जाता है, इन दिनों एक गंभीर लापरवाही के चलते चर्चा में है। बालेर रेंज से सामने आए एक हालिया मामले ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने न केवल स्थानीय वन्यजीव प्रेमियों को आक्रोशित किया है, बल्कि इससे यह भी उजागर हुआ है कि शिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के अभाव में वन्यजीवों की सुरक्षा कितनी खतरे में है।

बालेर रेंज में शिकारी पकड़े गए, फिर छोड़ दिए गए

मामला बालेर रेंज के बाजौली बीट संख्या 75 के समीप कालाभाटा बनास नदी क्षेत्र का है, जो रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है। शुक्रवार को चार शिकारी वहां मछलियों और तीतर जैसे वन्यजीवों का शिकार करने पहुंचे थे। लेकिन स्थानीय वन्यजीव प्रेमियों को इस संदिग्ध गतिविधि की जानकारी लग गई और वे मौके पर पहुंच गए। तत्परता दिखाते हुए प्रेमियों ने चार में से दो शिकारियों को दबोच लिया जबकि अन्य दो मौके से भागने में सफल रहे।

वन्यजीव प्रेमियों ने तुरंत ही इस घटना की सूचना वन विभाग को दी। विभाग की टीम मौके पर पहुंची और दोनों पकड़े गए आरोपियों को अपने साथ बालेर रेंज कार्यालय ले गई। ग्रामीणों और प्रेमियों ने मौके से एक मोटरसाइकिल, मछली पकड़ने के जाल, और अन्य आपत्तिजनक सामान भी जब्त करवाए थे। इन सबूतों के बावजूद, क्षेत्रीय वन अधिकारी नरेश कुमार गोदरा ने यह कहते हुए आरोपियों को बिना किसी कानूनी कार्रवाई के कुछ देर बाद छोड़ दिया कि उनके पास कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली और यह इलाका घड़ियाल क्षेत्र में आता है।

प्रेमियों ने जुटाए पुख्ता सबूत

इस घटनाक्रम से आहत वन्यजीव प्रेमियों ने मौके की वीडियो रिकॉर्डिंग की, जिसमें साफ तौर पर शिकारियों के पास शिकार के औजार और उपकरण दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में यह भी स्पष्ट है कि आरोपी शिकार की मंशा से वहां मौजूद थे और मौके से भागने की कोशिश कर रहे थे। इसके अलावा, वीडियो में यह भी संकेत हैं कि आरोपियों ने वन विभाग के कुछ अधिकारियों के साथ मिलीभगत की बात कही है।

ACF ने दिया बयान

मामले के उजागर होने के बाद रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के ACF निखिल कुमार ने कहा कि टीम के पहुंचने से पहले आरोपी जाल व अन्य सामग्री को नष्ट कर चुके थे, जिसके चलते उन्हें सबूतों के अभाव में छोड़ना पड़ा। लेकिन अब जब वीडियो सामने आया है, तो उसके आधार पर आरोपियों की पुनः तलाश की जाएगी और जांच आगे बढ़ाई जाएगी।

सवालों के घेरे में वन विभाग

इस पूरे प्रकरण से यह सवाल उठता है कि आखिर जब मौके पर सबूत, आरोपी और गवाह तीनों मौजूद थे, तब वन विभाग ने कार्रवाई करने से परहेज़ क्यों किया? क्या यह सिर्फ लापरवाही है या इसके पीछे कोई गहरी सांठगांठ है? ऐसे मामलों में जब शिकारी पकड़ लिए जाते हैं, तब बिना कानूनी प्रक्रिया के उन्हें छोड़ देना वन्यजीव संरक्षण कानूनों का खुला उल्लंघन माना जाना चाहिए।

रणथम्भौर की साख पर आंच

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सुरक्षित बाघ अभयारण्य के रूप में है, लेकिन हालिया घटनाएं इस छवि को धूमिल करने लगी हैं। पर्यटन सीजन में जब अधिकारी व्यस्त रहते हैं, तब रेंज स्तर पर ऐसी लापरवाहियां न केवल वन्यजीवों के लिए खतरनाक हैं बल्कि स्थानीय विश्वास और सहयोग को भी कमजोर करती हैं।

स्थानीय जागरूकता और निगरानी जरूरी

इस घटना ने यह भी साबित किया है कि स्थानीय ग्रामीणों और वन्यजीव प्रेमियों की सक्रियता ही कई बार शिकार जैसे अपराधों को रोकने में अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में उन्हें सशक्त बनाना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनके द्वारा दिए गए सबूतों को गंभीरता से लेना वन विभाग की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

बालेर रेंज की इस घटना ने रणथम्भौर में वन विभाग की जवाबदेही पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। यह आवश्यक हो गया है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। वन्यजीव संरक्षण तभी प्रभावी हो सकता है जब निचले स्तर पर काम कर रहे अधिकारी कानून के प्रति ईमानदारी से प्रतिबद्ध हों।

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