रणथंभौर टाइगर रिजर्व, जो देश के सबसे प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक माना जाता है, इन दिनों गंभीर पर्यावरणीय संकट और प्रशासनिक अनियमितताओं के चलते सुर्खियों में है। राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित यह संरक्षित वन क्षेत्र एक ओर तो पर्यटकों की पसंद बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर लगातार हो रहे अवैध खनन, वाहनों की अनियंत्रित आवाजाही और मानव गतिविधियों के कारण बाघों की सुरक्षा पर गहरा संकट मंडरा रहा है। अब यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत—सुप्रीम कोर्ट—की चौखट पर पहुंच चुका है।
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, राज्य सरकार से 24 घंटे में मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने रणथंभौर टाइगर रिजर्व के भीतर हो रही अवैध गतिविधियों पर गंभीर नाराजगी जताई है। सोमवार को कोर्ट ने राजस्थान सरकार से साफ कहा कि अगर रिजर्व की सुरक्षा को लेकर अनदेखी जारी रही, तो अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। कोर्ट ने राज्य सरकार को 24 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। साथ ही, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग करने वाली याचिका पर भी विचार करने का संकेत दिया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र के भीतर अवैध खनन, अनधिकृत निर्माण और वाहनों की बेहिसाब आवाजाही से बाघों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। यह ना केवल वन्यजीव सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का भी सीधा अपमान है।
26 दिन में दो मौतें: वन्यजीव और मानव संघर्ष बढ़ा
रणथंभौर में हाल के दिनों में इंसानों और बाघों के बीच बढ़ते टकराव की वजह से महज 26 दिनों में दो दर्दनाक घटनाएं सामने आईं—एक 7 वर्षीय बच्चे की मौत और वन विभाग के एक रेंजर की जान चली गई। बाघिनों के शावकों के साथ लोगों के खेलने के वीडियो, जंगल के अंदर रील बनाने की घटनाएं और सोशल मीडिया पर वायरल होते दृश्य वन्यजीवों की शांति में बड़ी बाधा बनते जा रहे हैं।
पर्यावरणविदों की चेतावनी: टाइगर सफारी पर रोक जरूरी
रणथंभौर टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 10 जोन हैं, जहां पर्यटकों को सफारी की अनुमति है। लेकिन पर्यावरणविदों का मानना है कि बाघों की संख्या अधिक हो जाने के कारण उनके बीच टेरेटोरियल फाइट (इलाका कब्जाने की लड़ाई) बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में इंसानों की अधिक उपस्थिति बाघों के व्यवहार पर नकारात्मक असर डाल रही है।
मंत्री और अधिकारियों के बीच तनातनी
रणथंभौर के मुद्दे पर राजस्थान सरकार के भीतर भी खींचतान देखने को मिली है। सवाई माधोपुर से विधायक और राज्य मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा खुद कई बार रणथंभौर में लापरवाही को लेकर अधिकारियों को फटकार लगा चुके हैं। एक वायरल वीडियो में वे वन अधिकारियों को धमकाते नजर आए, जिसमें वह कह रहे हैं कि "आप हमारी अनुमति के बिना जंगल में प्रवेश नहीं कर सकते।"
CEC की रिपोर्ट से खुलासा: आरोप सही हैं
सुप्रीम कोर्ट की सहायता करने वाली केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने भी रणथंभौर में अवैध खनन और वाहनों की आवाजाही की पुष्टि की है। वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर ने अदालत को बताया कि CEC को रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में अवैध गतिविधियों के प्रमाण मिले हैं। उन्होंने कोर्ट को सूचित किया कि स्थिति अत्यंत गंभीर है और तत्काल नियंत्रण की आवश्यकता है।
क्या बचेगा रणथंभौर?
रणथंभौर टाइगर रिजर्व भारत के सबसे समृद्ध बाघ आवासों में से एक है, लेकिन यदि प्रशासनिक लापरवाही, अवैध खनन और अनियंत्रित पर्यटन गतिविधियां इसी तरह जारी रहीं तो यह अभयारण्य आने वाले वर्षों में बाघों के लिए असुरक्षित हो जाएगा। आज की सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई इस दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।
अब यह देखना होगा कि कोर्ट के आदेशों के बाद राजस्थान सरकार और संबंधित अधिकारी रणथंभौर की सुरक्षा को लेकर क्या ठोस कदम उठाते हैं। पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय लोगों की उम्मीदें अब अदालत की निगरानी और प्रभावी कार्रवाई पर टिकी हैं।