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रणथंभौर की 'कनकटी' बाघिन ट्रैंकुलाइज कर एनक्लोजर में बंद: 26 दिन में दो इंसानी हमलों के बाद बड़ी कार्रवाई

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रणथंभौर टाइगर रिजर्व एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह जंगल की शान नहीं, बल्कि खतरे का सामना कर रहे ग्रामीण और वनकर्मी हैं। रणथंभौर की एक फीमेल शावक 'कनकटी', जिसे 'अन्वी' नाम से भी जाना जाता है, को वन विभाग ने आखिरकार ट्रैंकुलाइज कर एनक्लोजर में शिफ्ट कर दिया है। बीते 26 दिनों में दो लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार इस बाघिन को पकड़ना विभाग के लिए बड़ी चुनौती थी।

बाघिन कनकटी की पहचान और पृष्ठभूमि

'कनकटी' रणथंभौर की चर्चित बाघिन T-84 ऐरोहेड की संतान है। रणथंभौर में पली-बढ़ी यह फीमेल शावक कुछ समय से इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ रही थी और व्यवहार में आक्रामकता दिखाई दे रही थी। बीते एक महीने में दो इंसानी मौतों से यह साफ हो गया कि अब यह शावक सामान्य नहीं रही और मानवीय जीवन के लिए खतरा बन चुकी है।

हमलों की श्रृंखला और विभाग की चिंता

इस वर्ष 16 अप्रैल को कनकटी ने 7 साल के कार्तिक सुमन को निशाना बनाया, जो अपनी दादी के साथ त्रिनेत्र गणेश मंदिर आया हुआ था। यह हादसा हर किसी को झकझोर गया। अभी लोग इस दर्द से उबर भी नहीं पाए थे कि 11 मई को कनकटी ने एक और हमला कर दिया। इस बार शिकार बना वन विभाग का रेंजर देवेंद्र चौधरी। लगातार दो घटनाओं के बाद स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई और वन विभाग के लिए कोई ठोस कदम उठाना अनिवार्य हो गया।

ट्रैंकुलाइज कर एनक्लोजर में शिफ्ट

बुधवार सुबह कनकटी कुतलपुरा गांव में देखी गई। यह गांव रणथंभौर नेशनल पार्क की सीमा से लगा हुआ है। वन विभाग की टीम पहले से अलर्ट पर थी और दो प्रयासों के बाद कनकटी को ट्रैंकुलाइज करने में सफल रही। इसके तुरंत बाद उसे रणथंभौर के भिड़ नाके पर स्थित एनक्लोजर में शिफ्ट कर दिया गया।

अब क्या होगा?

रणथंभौर के मुख्य वन संरक्षक (CCF) अनूप के आर ने बताया कि बाघिन की मॉनिटरिंग की जा रही है और आगे की कार्रवाई उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार की जाएगी। विशेषज्ञों की मानें तो वर्तमान में एनक्लोजर में शिफ्ट करना ही सबसे सुरक्षित विकल्प था। भविष्य में इस बाघिन के लिए क्या रास्ता चुना जाएगा – क्या उसे जंगल में दोबारा छोड़ा जाएगा या स्थायी रूप से कैद में रखा जाएगा – यह निर्णय उसकी गतिविधियों और आक्रामकता के स्तर पर निर्भर करेगा।

एनक्लोजर की विशेष जानकारी

रणथंभौर के भिड़ नाके पर स्थित यह एनक्लोजर वर्ष 2019-20 में DFO मुकेश सैनी के निर्देशन में बनाया गया था। यह एनक्लोजर और रेस्क्यू रूम विशेष रूप से ऐसे ही संकटपूर्ण परिस्थितियों के लिए बनाए गए थे। यह इलाका रणथंभौर और करौली की कैलादेवी सेंचुरी के बीच का कनेक्शन प्वाइंट है और लगभग 2 से 3 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है।

बाघ और इंसान के बीच बढ़ता टकराव

रणथंभौर जैसी जैव विविधता से भरपूर जगह में बाघों की बढ़ती संख्या और सीमित वन क्षेत्र के कारण अब बाघों का इंसानी इलाकों की ओर आना आम बात होती जा रही है। ऐसे में मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं। यह घटना एक चेतावनी है कि वन्यजीवों और इंसानों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए गंभीर योजना और सतर्कता की आवश्यकता है।

कनकटी बाघिन का ट्रैंकुलाइजेशन और एनक्लोजर में शिफ्ट करना वन विभाग के लिए तात्कालिक समाधान है, लेकिन दीर्घकालीन समाधान के लिए व्यापक नीति निर्माण की जरूरत है। रणथंभौर जैसे टाइगर रिजर्व में इस तरह की घटनाएं संरक्षण और सुरक्षा – दोनों के लिए गंभीर चुनौती पेश करती हैं। अब सभी की नजर इस पर टिकी है कि कनकटी को आगे कैसे संभाला जाएगा और क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सकेगा।

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