रणथंभौर टाइगर रिजर्व की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट सख्त: तीन सदस्यीय कमेटी का गठन, खनन पर पूर्ण प्रतिबंध

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सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व को लेकर एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाया है। न्यायालय ने रणथंभौर की पारिस्थितिकी, वन्यजीव संरक्षण और धार्मिक गतिविधियों के बीच संतुलन बनाने के उद्देश्य से तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है, जिसमें जिला कलेक्टर, रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर और CEC (Central Empowered Committee) के एक सदस्य को शामिल किया गया है। इस निर्णय के पीछे एक जनहित याचिका (PIL) है, जिसमें टाइगर रिजर्व के अंदर और आसपास हो रहे अवैध खनन, धार्मिक स्थलों पर अत्यधिक भीड़ और वन्यजीवों के लिए खतरनाक गतिविधियों पर चिंता जताई गई थी।

पीआईएल के प्रमुख बिंदु

याचिका में मांग की गई थी कि:

  • त्रिनेत्र गणेश मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों तक वाहनों और लोगों की आवाजाही को नियंत्रित किया जाए।
  • कोर/CTH क्षेत्र में स्थित अवैध खनन, व्यवसायिक निर्माण और संरचनाओं को हटाया जाए।
  • वन्यजीव कानूनों को लागू करने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए।
  • टाइगर रिजर्व में मानवीय गतिविधियों से हो रहे पारिस्थितिकीय नुकसान को रोका जाए।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि:

  • रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व के लिए अलग-अलग तीन सदस्यीय समितियां गठित की जाएंगी।
  • ये समितियां धार्मिक गतिविधियों, खनन, अतिक्रमण और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों का चरणबद्ध समाधान तलाशेंगी।
  • त्रिनेत्र गणेश मंदिर और पांडुपोल हनुमान मंदिर जैसे स्थलों पर खाना पकाने, भंडारा आयोजित करने जैसी गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाए।
  • मंदिरों में भोग और प्रसाद केवल टाइगर रिजर्व के बाहर तैयार कर अंदर लाने की अनुमति होगी।

अवैध खनन पर सख्ती

रणथंभौर टाइगर रिजर्व के CTH क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की जानकारी कोर्ट के सामने प्रस्तुत की गई थी। विशेष रूप से उलियाना गांव के पास 150 हेक्टेयर क्षेत्र में हो रहे खनन कार्य, भारी मशीनों की आवाजाही और पत्थर तोड़ने की गतिविधियां चिंता का विषय बनी हुई थीं। कोर्ट ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह:

  • मुख्य टाइगर क्षेत्र में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करे।
  • छह सप्ताह के भीतर यह हलफनामा दायर करे कि प्रतिबंध का पालन कैसे किया जा रहा है।

तीर्थयात्रियों से जुड़े मुद्दे

रणथंभौर किले में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां बुधवार को श्रद्धालुओं की संख्या 10,000 से अधिक हो जाती है। आम दिनों में यह संख्या 2,500 से 6,000 के बीच रहती है। ये श्रद्धालु मुख्य रूप से टाइगर रिजर्व के भीतर 6 किमी लंबे मार्ग से होकर मंदिर तक पहुंचते हैं। कोर्ट ने इस भारी भीड़, वाहन पार्किंग, प्लास्टिक कचरा और अवैध गतिविधियों से टाइगर रिजर्व की पारिस्थितिकी को हो रहे नुकसान को देखते हुए तीर्थयात्रा को सीमित और नियंत्रित करने के निर्देश दिए हैं।

पर्यावरण मंत्रालय और राज्य सरकार पर सवाल

याचिका में यह भी कहा गया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) और राज्य सरकार ने रणथंभौर टाइगर रिजर्व की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। ESZ (Eco Sensitive Zone) की अधिसूचना अब तक नहीं की गई, जिससे होटल, फार्म हाउस, कॉलोनियों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों का अनियंत्रित विकास हो रहा है।

ऐतिहासिक धरोहरों की उपेक्षा

रणथंभौर में जोगी महल, बत्तीस खंभा, बड़ा महल, रणथंभौर किला, जैन मंदिर आदि ऐतिहासिक स्थल हैं जिनका उचित रखरखाव नहीं हो रहा है। इन क्षेत्रों में भीड़भाड़ और कचरे के कारण इनके अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल रणथंभौर टाइगर रिजर्व के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह धार्मिक, सामाजिक और पारिस्थितिकीय संतुलन के बीच सामंजस्य बनाने का प्रयास भी है। राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस फैसले को गंभीरता से लें और रणथंभौर की जैव विविधता और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा सुनिश्चित करें।

यह निर्णय केवल एक कानूनी आदेश नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो देश के सबसे महत्वपूर्ण टाइगर रिजर्व में से एक अपनी प्राकृतिक विरासत को खो सकता है।