सूरवाल बांध परियोजना: 25 करोड़ की योजना से 22 गांवों के किसानों को मिलेगा सिंचाई का लाभ

surwal bandh sinchai yojana 2025

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। सूरवाल बांध से जुड़ी नहर प्रणाली को सुदृढ़ और पक्की बनाने के लिए राज्य सरकार ने 25 करोड़ 22 लाख रुपये की महत्त्वपूर्ण योजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना के अंतर्गत सूरवाल बांध से टेल तक लगभग 35 किलोमीटर की मुख्य और माइनर नहरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें पक्का बनाया जाएगा। इससे न केवल सिंचाई की सुविधा में सुधार होगा, बल्कि जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

43 किलोमीटर नहर नेटवर्क, 35 किमी नहरों का होगा पक्कीकरण

सूरवाल बांध से निकलने वाली कुल 43.22 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर और उससे जुड़ी 5 माइनर नहरें पहले से मौजूद हैं। इनमें से 35 किलोमीटर की कच्ची नहरों का पक्कीकरण किया जाएगा। इस योजना से 22 गांवों के लगभग 8 हजार किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा, जिनकी 4,847.71 हेक्टेयर कृषि भूमि पर अब नियमित रूप से सिंचाई संभव हो सकेगी।

सिंचाई का समय घटेगा, टेल तक समय पर पहुंचेगा पानी

फिलहाल, जब बांध से पानी छोड़ा जाता है तो टेल तक पहुंचने में 10 से 15 दिन लग जाते हैं, जिससे अंतिम छोर पर स्थित किसानों की फसलें पछेती हो जाती हैं। कई बार कच्ची नहरें पानी के वेग से टूट जाती हैं, जिससे सिंचाई बाधित हो जाती है। लेकिन अब पक्की नहर बनने के बाद यह पानी महज एक या दो दिन में ही टेल तक पहुंच सकेगा। इस परिवर्तन से सिंचाई व्यवस्था कहीं अधिक प्रभावशाली और समयबद्ध बन जाएगी।

जल संरक्षण और भूमिगत जलस्तर को मिलेगा सहारा

कच्ची नहरों में पानी का रिसाव बड़ी समस्या होती है, जिससे पानी व्यर्थ बह जाता है। नहरों के पक्की होने से यह रिसाव पूरी तरह नियंत्रित होगा। इससे न केवल पानी की बर्बादी रुकेगी, बल्कि जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा और भूमिगत जलस्तर में भी संतुलन आएगा। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि पक्की नहरों से जिले में सिंचाई व्यवस्था काफी हद तक सशक्त हो जाएगी।

सूरवाल बांध की क्षमता और विशेषताएं

सूरवाल बांध सवाई माधोपुर जिले के प्रमुख बांधों में गिना जाता है। इसकी कुल लंबाई 4,200 मीटर है, जबकि वेस्ट वीयर की लंबाई 240 मीटर है। बांध की भराव क्षमता 15 फीट है, जिसमें 917.80 एमसीएफटी पानी संग्रहित किया जा सकता है। अधिकारियों के अनुसार, बांध जब पूर्ण रूप से भर जाता है, तो इसमें 8 फीट पानी को रिजर्व में रखकर लगभग 67 दिनों तक नहरों के संचालन की व्यवस्था की जा सकती है। आमतौर पर डेढ़ महीने तक बांध से सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाता है।

सीमाज्ञान और अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही तेज

इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने से पहले सिंचाई विभाग ने नहरों पर हुए अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। मार्किंग मशीनों की सहायता से अतिक्रमण की पहचान की जा रही है। पटवारी और गिरदावर की मदद से सीमाज्ञान कर नहरों की वास्तविक चौड़ाई और स्थिति को चिन्हित किया जा रहा है, ताकि बिना किसी बाधा के पक्कीकरण कार्य किया जा सके।

पक्की नहर के निर्माण में तकनीकी ध्यान

योजना के तहत नहर की एक साइड पर तीन मीटर चौड़ी पटरी बनाई जाएगी, जिससे जल प्रवाह बेहतर होगा और वाहनों की आवाजाही में भी सुविधा मिलेगी। इससे नहर की सफाई, निगरानी और मरम्मत की प्रक्रिया अधिक सुगम हो जाएगी।

परियोजना की समयसीमा

जल संसाधन विभाग द्वारा इस कार्य को वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विभाग ने तय समय में कार्य पूर्ण करने के लिए आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी हैं। कार्य की सतत निगरानी की जा रही है ताकि किसानों को समय पर लाभ मिल सके।

इन 22 गांवों के किसानों को मिलेगा लाभ

इस योजना से सूरवाल, मऊ, अजनोटी, नींदड्दा, श्यामोता, कोशाली, मैनपुरा, पढ़ाना, गोगोर, जटवाड़ा कला, खाट खुर्द, धनौली, गोठड़ा, दोबड़ा कला, दुब्बी खुर्द, कानसिर, जड़ावता, खाट कला, सेलू, चकेरी, दुब्बी बनास सहित कुल 22 गांवों के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।

सिंचाई के क्षेत्र में यह परियोजना सवाई माधोपुर जिले के किसानों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। जल की बर्बादी रुकेगी, सिंचाई समय पर होगी और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी। राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत यह 25 करोड़ की योजना न केवल खेतों तक पानी लाएगी, बल्कि गांवों में खुशहाली भी लाएगी।