रणथम्भौर टाइगर रिजर्व, जिसे देश का गौरव और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल माना जाता है, इन दिनों लगातार बाघों के हमलों से दहशत में है। 9 जून की सुबह एक और दर्दनाक हादसा सामने आया, जब रणथम्भौर किले में स्थित जैन मंदिर में चौकीदारी कर रहे राधेश्याम सैनी को एक बाघ ने अपना शिकार बना लिया। यह घटना पिछले दो महीनों में बाघ द्वारा मानव पर हुए हमलों की तीसरी घटना है, जिसने वन विभाग की व्यवस्थाओं और सुरक्षा उपायों पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुबह शौच के लिए निकले थे राधेश्याम, बाघ ने किया हमला
शेरपुर गांव निवासी 60 वर्षीय राधेश्याम सैनी पिछले दो दशक से रणथम्भौर किले स्थित जैन मंदिर में चौकीदार के रूप में सेवाएं दे रहे थे। सोमवार सुबह करीब साढ़े चार बजे जब वे शौच के लिए मंदिर से कुछ दूरी पर गए, तभी एक बाघ ने उन पर हमला कर दिया। अन्य दो चौकीदारों ने उनकी चीखें सुनीं, लेकिन घना जंगल होने के कारण शव तुरंत नहीं दिखाई दिया।
घटना की सूचना वन विभाग को दी गई, जिसके बाद तीन से चार घंटे की मशक्कत के बाद राधेश्याम का क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया। उनके शरीर पर बाघ के दांतों के निशान साफ देखे गए, जबकि जांघ का हिस्सा पूरी तरह खाया जा चुका था।
दो महीने में तीसरी घटना, बढ़ता जन आक्रोश
यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि एक सिलसिले का हिस्सा बन चुकी है। पिछले दो महीनों में रणथम्भौर किले और उसके आसपास के क्षेत्र में टाइगर द्वारा तीन जानलेवा हमले किए जा चुके हैं:
- 21 अप्रैल – त्रिनेत्र गणेश मंदिर के रास्ते पर बाघिन कनकटी ने 7 साल के बच्चे को मार डाला। (पढ़िए पूरी खबर)
- 12 मई – जोगी महल के पास बाघ ने एक फॉरेस्ट रेंजर पर हमला कर जान ले ली। (पढ़िए पूरी खबर)
- 9 जून – जैन मंदिर के चौकीदार राधेश्याम सैनी को बनाया गया शिकार।
तीनों हमले रणथम्भौर दुर्ग की 2 किलोमीटर परिधि में हुए, जो सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमजोरियों की तरफ इशारा करते हैं।
ग्रामीणों का विरोध, सड़क जाम और धरना
घटना के बाद शेरपुर व आसपास के ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा। सवाई माधोपुर–कुंडेरा मार्ग को जाम कर दिया गया और गणेश धाम तिराहे पर टेंट लगाकर धरना शुरू किया गया। पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प की स्थिति भी बनी। मौके पर ASP रामकुमार कस्वां, ASP राजेंद्र सिंह रावत सहित कई वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे।
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टाइगर अटैक के विरोध में गणेश धाम गेट पर प्रदर्शन। |
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों की मांग थी कि वन विभाग के अधिकारियों, विशेषकर सीसीएफ अनूप के आर और DFO रामानंद भाकर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाए।
प्रशासन ने मानी मांगे, मृतक परिवार को राहत
लगातार विरोध के चलते प्रशासन ने कुछ अहम मांगों पर सहमति जताई। मृतक के परिवार से एक सदस्य को वन विभाग में वालंटियर तथा एक को रणथम्भौर में नेचर गाइड के रूप में नियुक्त करने की सहमति बनी। साथ ही पांच लाख रुपये का मुआवजा भी स्वीकृत किया गया।
वन विभाग ने गणेश धाम पर पानी और छाया की व्यवस्था करने, रणथम्भौर दुर्ग की टूटी दीवारों की मरम्मत (66 लाख की लागत से), और दुर्ग के रास्तों को जाली से कवर करने का भी आश्वासन दिया है।
टाइगर रिजर्व के नाम पर "तानाशाही"?
जिला प्रमुख के पति और कांग्रेस नेता डिग्री प्रसाद मीणा ने वन विभाग पर तानाशाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रणथम्भौर दुर्ग में स्थानीय लोग राणा हम्मीर के समय से रह रहे हैं और यह क्षेत्र केवल "टाइगर फेरी" नहीं है। राधेश्याम सैनी को भी वनकर्मियों के समान मुआवजा और सम्मान मिलना चाहिए। यदि प्रशासन ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो 10 किलोमीटर की परिधि में बसे सभी गांव मिलकर व्यापक आंदोलन करेंगे।
सवालों के घेरे में सुरक्षा और प्लानिंग
वन विभाग ने हाल ही में बाघों की आवाजाही के चलते त्रिनेत्र गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगाई थी, लेकिन चौकीदारों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई थी। क्या रणथम्भौर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में काम कर रहे स्थानीय सहयोगियों की सुरक्षा सिर्फ "किस्मत" के भरोसे है?
वन्यजीव संरक्षण की जिम्मेदारी के साथ-साथ स्थानीय मानव आबादी की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। लगातार हो रही इन घटनाओं से साफ है कि अब एक संतुलित और मजबूत रणनीति की आवश्यकता है, जिसमें बाघों का संरक्षण भी हो और आमजन की सुरक्षा भी।