सवाई माधोपुर डीटीओ ऑफिस में मंथली वसूली का पर्दाफाश: एसीबी ने पुन्याराम मीणा को किया गिरफ्तार

 

dto bribery case sawai madhopur acb arrest
सवाई माधोपुर डीटीओ जयपुर में एसीबी के शिकंजे में

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में वर्षों से चल रहे मंथली वसूली के गोरखधंधे का भंडाफोड़ करते हुए एसीबी ने जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) पुन्याराम मीणा उर्फ पीआर मीणा को जयपुर से गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले इसी प्रकरण में एसीबी के एएसपी सुरेन्द्र शर्मा और दलालों की गिरफ्तारी हो चुकी है। यह मामला न सिर्फ सवाई माधोपुर बल्कि पूरे राजस्थान में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका जीवंत उदाहरण बन गया है।

गिरफ्तारी के वक्त भागने की फिराक में था डीटीओ

एसीबी के महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा के अनुसार डीटीओ पुन्याराम मीणा को जयपुर में उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह फरार होने की कोशिश कर रहा था। उसने गिरफ्तारी से पहले अपने मोबाइल का सारा डेटा भी डिलीट कर दिया। लेकिन एसीबी के पास उससे जुड़ी पुख्ता जानकारी पहले से ही मौजूद थी, जो पूर्व में पकड़े गए एएसपी सुरेन्द्र शर्मा और दलाल राजाराम से पूछताछ में सामने आई थी।

दलाल प्रदीप पारीक करता था निवेश, एसीबी के पास साक्ष्य

जांच में यह भी सामने आया है कि डीटीओ के लिए दलाल प्रदीप पारीक उर्फ बंटी न केवल एसीबी अधिकारियों को रिश्वत देने की जिम्मेदारी निभा रहा था, बल्कि शेष रकम को अलग-अलग निवेशों में लगाता था। एसीबी को इससे जुड़े कई दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य हाथ लगे हैं। अब एसीबी की टीमें रिश्वत देने वाले कार्मिकों की सूची तैयार कर रही हैं और सभी को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जा रही है।

सुनीता मीणा का भी जुड़ाव: राजनीति से लेकर परिवहन विभाग तक

पुन्याराम मीणा की पत्नी सुनीता मीणा भी राजनीति में सक्रिय रही हैं। उन्होंने 2013 में अलवर के राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2023 के चुनाव में भी उन्होंने टिकट की दावेदारी की थी। टिकट न मिलने पर वह बागी होकर निर्दलीय भी चुनाव मैदान में उतरी थीं। यह राजनीतिक पृष्ठभूमि इस केस को और भी चर्चित बना रही है।

पांच साल से चल रहा था मंथली का खेल

सवाई माधोपुर आरटीओ ऑफिस में मंथली वसूली का खेल पिछले 5 वर्षों से चल रहा था। वर्ष 2020 में तत्कालीन डीटीओ महेश मीणा को भी एसीबी ने रंगे हाथों 80,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। उस वक्त यह खुलासा हुआ था कि हर महीने एसीबी अधिकारियों को मंथली दी जाती है, ताकि बजरी ओवरलोड ट्रकों की अवैध आवाजाही पर आंख मूंदे रखी जाए।

तीन डीटीओ—महेश मीणा, दयाशंकर गुप्ता और अब पुन्याराम मीणा—इन सभी के कार्यकाल में यह गोरखधंधा निर्बाध चलता रहा। गुप्ता के मामले में तो विभागीय आईडी तक के दुरुपयोग और कोर्ट स्टे के बाद भी काम करने जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं।

चौमूं से भी सामने आया वसूली का वीडियो

यह मामला सिर्फ सवाई माधोपुर तक ही सीमित नहीं रहा। चौमूं ऑफिस के गार्ड रणवीर सिंह नाथावत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें वह NH-52 सामोद रोड पुलिया के पास ट्रकों से वसूली करता नजर आ रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि खाकी वर्दी में वह ट्रक ड्राइवरों से अवैध वसूली कर रहा है, जिससे यह साबित होता है कि इस भ्रष्टाचार में इंस्पेक्टर और डीटीओ स्तर तक की मिलीभगत है।

इंस्पेक्टरों के पद खाली, कार्रवाई ठप

सवाई माधोपुर आरटीओ कार्यालय में 6 इंस्पेक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन अभी एक भी पद भरा हुआ नहीं है। दो में से एक की एक माह पहले मौत हो चुकी है और दूसरा गंगापुर सिटी में तैनात है। इससे ओवरलोड ट्रकों पर कोई नियमित कार्रवाई नहीं हो रही। हर दिन सैंकड़ों ट्रक ओवरलोड बजरी लेकर गुजरते हैं, जिनसे भारी वसूली होती है और मंथली सीधे उच्च अधिकारियों को जाती है।

क्या एसीबी ले पाएगी ठोस कार्रवाई?

अब सवाल उठता है कि क्या एसीबी इस पूरे भ्रष्टाचार के जाल को जड़ से खत्म कर पाएगी या फिर कुछ गिरफ्तारियों और सुर्खियों के बाद यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा? एसीबी ने पूर्व में भी डीएसपी और डीटीओ स्तर के अधिकारियों को पकड़ा था, लेकिन वसूली का तंत्र ज्यों का त्यों चलता रहा।

इस बार एसीबी की कार्रवाई में अगर राजनीतिक संरक्षण, पद का दुरुपयोग और विभागीय मिलीभगत जैसे सभी पहलुओं को आधार बनाकर केस तैयार किया जाए, तो संभव है कि यह कार्रवाई मिसाल बन सकती है।

सवाई माधोपुर और राजस्थान के अन्य जिलों में चल रही इस तरह की व्यवस्थित रिश्वत प्रणाली न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि आम नागरिकों के साथ एक बड़े विश्वासघात को भी सामने लाती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि एसीबी इन मामलों में कितनी गहराई तक जाकर कार्रवाई करती है और दोषियों को कितनी सख्ती से सजा दिलवाती है।