बाघों की साइटिंग की होड़ में नियमों की उड़ रही धज्जियां, रणथम्भौर में फिर बढ़ा खतरा

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रणथम्भौर टाइगर रिजर्व एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह बाघों की रोमांचकारी साइटिंग नहीं, बल्कि पर्यटन के दौरान की जा रही गंभीर लापरवाहियाँ हैं। हाल ही में जोन दो में हुई एक घटना ने फिर से यह साबित कर दिया है कि बाघों की नजदीक से झलक दिखाने की होड़ में गाइड और वाहन चालक कई बार नियमों की धज्जियाँ उड़ा देते हैं, जिससे न केवल वन्यजीवों को खतरा होता है, बल्कि पर्यटकों की जान भी जोखिम में पड़ जाती है।

शावक के पास ले गई जिप्सी, बढ़ा तनाव

तीन दिन पहले की इस घटना में एक चालक ने पर्यटकों को खुश करने की नीयत से जिप्सी को एक बाघिन के शावक के अत्यधिक पास खड़ा कर दिया। पास आता वाहन देख शावक घबरा गया और आक्रोश में जिप्सी की ओर दौड़ पड़ा। अचानक हुए इस घटनाक्रम से जिप्सी में बैठे पर्यटकों की सांसे थम सी गईं। गनीमत रही कि चालक ने सतर्कता दिखाते हुए जिप्सी को तुरंत पीछे कर लिया और स्थिति को नियंत्रित कर लिया। अन्यथा यह लापरवाही किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती थी।

पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले

रणथम्भौर में यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी बाघिन टी-107 उर्फ़ सुल्ताना द्वारा कैंटर और जिप्सी का पीछा किए जाने जैसी घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। ये घटनाएँ बार-बार यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या पर्यटन को लेकर तय नियमों का पालन वास्तव में किया जा रहा है?

नियमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

टाइगर रिजर्व जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को संतुलित और सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने करीब छह महीने पहले नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (NTCA) और सभी राज्यों के वन विभागों को निर्देश दिए थे कि टाइगर रिजर्वों में पर्यटक वाहनों के संचालन के लिए एक समान नीति लागू की जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि पर्यटन के दौरान वन्यजीवों को डिस्टर्ब करने पर सख्त कार्रवाई की जाए। बावजूद इसके रणथम्भौर सहित अन्य टाइगर रिजर्वों में ऐसे नियमों की अनदेखी लगातार देखने को मिल रही है।

वन विभाग की कार्रवाई बनी केवल औपचारिकता?

वन विभाग द्वारा कुछ समय पहले नियमों का उल्लंघन करने वाले चालकों पर कार्रवाई की गई थी। लेकिन बावजूद इसके न तो गाइड सुधर रहे हैं और न ही वाहन चालक। ऐसा प्रतीत होता है कि विभागीय कार्रवाईयों का कोई विशेष असर नहीं पड़ रहा है। पर्यटकों को बाघ दिखाने की जल्दबाज़ी में कई बार वन्यजीवों की शांति भंग की जा रही है, जिससे वे आक्रोशित हो रहे हैं। यह स्थिति वन्यजीवों और पर्यटकों, दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है।

अधिकारी क्या कह रहे हैं?

इस मामले पर रणथम्भौर बाघ परियोजना के उपवन संरक्षक (पर्यटन) प्रमोद कुमार धाकड़ का कहना है कि "इस संबंध में अभी तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, फिर भी हम मामले की जांच करवाएंगे और यदि कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"

अब जरूरी है सख्त निगरानी

रणथम्भौर जैसे संवेदनशील और विश्वप्रसिद्ध टाइगर रिजर्व में इस तरह की लापरवाही चिंताजनक है। बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा केवल कागजी नियमों से सुनिश्चित नहीं की जा सकती, इसके लिए ऑन-ग्राउंड सतर्कता और अनुशासन जरूरी है। साथ ही, गाइड और ड्राइवरों को नियमित प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान के माध्यम से समझाया जाना चाहिए कि पर्यटकों को खुश करने की लालसा में वे जंगल और जीवन, दोनों के साथ खिलवाड़ न करें।

रणथम्भौर की सुंदरता और इसकी बाघों से भरी विरासत को बनाए रखने के लिए सभी संबंधित पक्षों—वन विभाग, गाइड, चालक और पर्यटक—को मिलकर ज़िम्मेदारी निभानी होगी। वरना एक छोटी सी भूल एक बड़े संकट को जन्म दे सकती है।